Saturday, 17 September 2011


गलतीयों से जुदा, वो भी नहीं मैं भी नहीं...
दोनो इन्सान हैं.. खुदा वो भी नहीं मैं भी नहीं...

.........वो मुझे मैं उसे इल्जाम देते हैं मगर....
अपने अन्दर झांकते, वो भी नहीं मैं भी नहीं...

गलत-फहमियों ने कर दी, दोनो में पैदा दूरीयाँ...
.. वरना फितरत के बुरे वो भी नहीं मैं भी नहीं...

इस घुमती जिन्दगी में दोनो का सफर जारी रहा..
एक लम्हे को रूकते वो भी नहीं मैं भी नहीं......

मानते दोनो बहुत एक दूसरे को हैं मगर...
ये हकीकत जानते वो भी नहीं मैं भी नहीं...
सिर्फ मैं हाथ थाम सकूँ उसका....
मुझ पे इतनी इबादत सी कर दे..
वो रह ना पाऐ एक पल भी मेरे बिन...
ऐ खुदा तू उसको मेरी आदत सी कर दे...
खुशी अगर हमसे दामन बचाती है तो बचाऐ,
हमें तो गम ही है रास आऐ...
महोब्बत का ये अजब दस्तुर देखा,
उसी की जीत है... जो हार जाऐ...
फूलों को खिलना सिखाया नहीं जाता !
काँटों को चुभना बताया नहीं जाता...!!
कोई बन जाता हैं खुद से अपना !
वर्ना हर किसी को अपना बनाया नहीं जाता !!

shayari

वो गई जो हाथ छोर कर !
अब तनहा चलना सिख रहे हैं !!
हर बार मनाया उसको हमने !
अब खुद को मनाना सिख रहे हैं !!

shayari

वो गई जो हाथ छोर कर !
अब तनहा चलना सिख रहे हैं !!
हर बार मनाया उसको हमने !
अब खुद को मनाना सिख रहे हैं !!

shayari

डूबते हैं तो पानी को दोष देते हैं !
गिरते हैं तो पत्थर को दोष देते हैं !!
इंशान भी क्या अजीब हैं दोस्तों....!
कुछ कर नहीं पाता तो किस्मत को दोष देता हैं !!